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छत्तीसगढ़

कोर्ट से बरी होने के बावजूद धीरेंद्र जायसवाल अब भी ब्लैक लिस्ट में — न्याय की गुहार लगा रहा एक निर्दोष युवक

कोर्ट से बरी होने के बावजूद धीरेंद्र जायसवाल अब भी ब्लैक लिस्ट में — न्याय की गुहार लगा रहा एक निर्दोष युवक
रायपुर, छत्तीसगढ़ | विशेष संवाददाता

एक ओर देश में “न्याय सबके लिए” की बात कही जाती है, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में रहने वाले धीरेंद्र कुमार जायसवाल का मामला यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या वाकई न्याय मिलना सिर्फ कागज़ी प्रक्रिया भर बन कर रह गया है?

ग्राम कोहका, तहसील तिल्दा-नेवरा निवासी धीरेंद्र जायसवाल, जो नेवरा स्थित मदिरा दुकान में A2Z प्लेसमेंट कंपनी के माध्यम से सेल्समेन पद पर कार्यरत थे, को मई 2020 में कोरोना काल के दौरान झूठे ओवररेटिंग के आरोप में सेवा से निलंबित कर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था। इस मामले में आबकारी विभाग के अधिकारी जी.आर. आड़े (ADO) और कुछ जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता बताई जाती है।

धीरेंद्र पर दर्ज मामला अदालत में चला और लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 18 मार्च 2024 को न्यायालय ने उन्हें पूर्णतः दोषमुक्त करार दिया। न्यायालय का स्पष्ट आदेश आने के बावजूद आज, जून 2025 में, यानी एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी धीरेंद्र जायसवाल को ब्लैक लिस्ट से बाहर नहीं किया गया है।

धीरेंद्र जायसवाल ने इस संबंध में कई बार आबकारी विभाग, जिला कलेक्टर कार्यालय तथा प्लेसमेंट एजेंसी को आवेदन सौंपे, परंतु आज तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।

धीरेंद्र का दर्द

“मेरे खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे थे। मैंने कोई गलती नहीं की थी, फिर भी अधिकारियों ने दबाव में आकर मुझे निलंबित कर ब्लैक लिस्ट कर दिया। अब जब न्यायालय ने मुझे निर्दोष घोषित कर दिया है, तो मुझे अब तक न्याय क्यों नहीं मिला?” — धीरेंद्र जायसवाल

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह कार्यवाही GR आड़े, ADO, द्वारा जनप्रतिनिधियों के दबाव में की गई, जिससे उनकी छवि, आजीविका और मानसिक स्थिति को भारी क्षति पहुँची है।

प्रशासन से गुहार
धीरेंद्र ने राज्य शासन और जिला प्रशासन से अपील की है कि न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए उन्हें तत्काल ब्लैक लिस्ट से मुक्त किया जाए और पूर्व पद पर बहाल किया जाए।

प्रश्न उठता है:
जब एक व्यक्ति अदालत से दोषमुक्त हो चुका है, तो प्रशासन द्वारा उसे बहाल करने में देरी क्यों?
क्या न्यायालय के आदेशों का प्रशासनिक प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता?

यह मामला प्रशासनिक अनदेखी और न्याय की प्रतीक्षा में जूझ रहे एक आम नागरिक की गवाही है — जो यह बताता है कि सिर्फ निर्दोष होना पर्याप्त नहीं, न्याय के लिए आवाज़ उठाते रहना भी आवश्यक है।

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