जनसुनवाई में फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, न्यू विस्टा लिमिटेड की खनन परियोजना का कड़ा विरोध, पर्यावरण, रोजगार और विस्थापन के मुद्दों पर उठी तीखी आवाजें

जनसुनवाई में फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, न्यू विस्टा लिमिटेड की खनन परियोजना का कड़ा विरोध
पर्यावरण, रोजगार और विस्थापन के मुद्दों पर उठी तीखी आवाजें (दैनिक सृजन भूमि छत्तीसगढ़ न्यूज़, बलौदाबाजार)
बलौदाबाजार ज़िले के ग्राम परसाभदेर के समीप प्रस्तावित न्यू विस्टा लिमिटेड की लाइमस्टोन खनन विस्तार परियोजना को लेकर आयोजित जनसुनवाई तीव्र विरोध और आक्रोश के बीच संपन्न हुई। पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए ग्राम ढनढनी में रखी गई इस जनसुनवाई में ग्रामीणों ने कंपनी की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया को लेकर गंभीर आपत्तियाँ दर्ज कीं।
जनसुनवाई स्थल को लेकर उठे सवाल
स्थानीय ग्रामीणों ने यह सवाल उठाया कि जब परियोजना क्षेत्र ग्राम परसाभदेर में है, तो सुनवाई ढनढनी गांव में क्यों की गई। ग्रामीणों का आरोप है कि यह रणनीति विरोध को दबाने का प्रयास थी, जिससे प्रभावित लोगों की भागीदारी सीमित रही।
पुलिस बल की मौजूदगी, फिर भी विरोध में उमड़ा जनसैलाब
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आयोजित इस जनसुनवाई में ढनढनी, रिस्दा और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। अधिकांश ग्रामीणों ने कंपनी के खिलाफ एकजुट होकर विरोध जताया। केवल कुछ गिने-चुने लोगों ने समर्थन में बोलते हुए कंपनी की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की।
प्रदूषण, विस्थापन और रोजगार की अनदेखी
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि न्यू विस्टा लिमिटेड ने पर्यावरण नियमों की खुलेआम अवहेलना की है। संयंत्र से निकलने वाले धूल, ध्वनि और रासायनिक प्रदूषण से ग्रामीणों का जीवन प्रभावित हो रहा है। साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार न दिए जाने और बाहरी लोगों को वरीयता देने को लेकर भी गहरी नाराजगी जाहिर की गई।
जंगल और वन्यजीवों पर खतरा
ग्रामीणों ने बताया कि खेरवारडीह जंगल परियोजना स्थल से मात्र 20 फीट की दूरी पर है। खनन और ब्लास्टिंग के कारण वन्यजीवों की मौतें बढ़ रही हैं और जैव विविधता को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
कृषि और जल संकट की भयावह तस्वीर
खनन की वजह से जलस्तर गिरने और कुकरदी जलाशय के सूखने से किसान परेशान हैं। खेतों की उत्पादकता घट रही है और पेयजल संकट विकराल होता जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी केवल प्रशासन के दबाव में जल आपूर्ति करती है, जबकि स्थायी समाधान नहीं किया गया।
कचरा जलाकर सीमेंट निर्माण, स्वास्थ्य पर संकट
एफआर कचरे के नाम पर शहरों से लाए गए प्लास्टिक व गंदगी को जलाकर सीमेंट बनाया जा रहा है, जिससे वायु प्रदूषण फैल रहा है। ग्रामीणों में सांस, त्वचा और अन्य बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। प्रशासन को शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
CSR और प्रशिक्षण योजनाओं पर भी सवाल
कंपनी द्वारा घोषित प्रशिक्षण कार्यक्रम और CSR योजनाएं केवल कागजों तक सीमित हैं। ग्रामीणों के अनुसार प्रशिक्षण केंद्रों में न संसाधन हैं न गुणवत्ता, और प्रशिक्षण के बाद रोजगार की कोई गारंटी नहीं है।
ग्रामीणों की मुख्य मांगें:
- जनसुनवाई को रद्द कर परसाभदेर में दोबारा कराई जाए।
- स्वतंत्र एजेंसी से पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन कराया जाए।
- स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता मिले।
- जल और स्वास्थ्य सेवाएं नियमित और स्थायी रूप से उपलब्ध कराई जाएं।
- प्लांट में कचरा जलाने की प्रक्रिया तुरंत रोकी जाए।
- वन्यजीव संरक्षण की प्रभावी नीति लागू हो।
- CSR योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू की जाएं।
असंतोष को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है
ग्रामीणों ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वे अब केवल विकास के नाम पर चुप नहीं बैठेंगे। जल, जंगल, जमीन और जीवन से जुड़े मुद्दों को लेकर अब आवाज बुलंद हो चुकी है। प्रशासन और नीति-निर्माताओं को इस विरोध को गंभीरता से लेना होगा, वरना यह असंतोष किसी बड़े जनआंदोलन का रूप ले सकता है।
यह रिपोर्ट न्यू विस्टा लिमिटेड की परियोजना को लेकर ग्रामीणों के प्रतिरोध की तस्वीर पेश करती है, जो वर्तमान में विकास बनाम पर्यावरण के बीच खिंचती रेखा को उजागर कर रही है।