खरोरा:--- अंचल में रविवार को हरेली तिहार धूमधाम से मनाई गई । छत्तीसगढ़ के किसानों का यह प्रथम त्यौहार है- छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली प्रदेश के किसानों के साथ ही बच्चों के लिए खुशियां लेकर आती है, पारंपरिक खेलों का आयोजन बच्चे बूढ़े, जवान, महिलाएं सभी को आनंद से भर देता है, छत्तीसगढ़ में प्रकृति को पूजने की परंपरा पूर्वजों की देन है, हरेली में कृषि उपकरणों के साथ ही गौधन की पूजा होती है, नीम के टहनी घरों के दवार पर लटकाया जाता है जिससे कई तरह के बरसाती किटाणुओं का नाश होता है, बच्चों के लिए यह दिन खास होता है क्यों कि उन्हें गेड़ी चढ़ने को मिलता है, हरेली को बच्चे गेड़ी तिहार के नाम से भी जानते हैं। छत्तीसगढ़ का प्रथम पर्व धूमधाम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मान्यताओं के अनुसार हरियाली पर्व से ही हिंदू पर्व की शुरुआत होती है । हरियाली पर्व कृषि वर्ग में विशेष महत्व रखता है । आज के दिन किसानों द्वारा कृषि उपकरण की साफ-सफाई कर पूजा अर्चना की जाती है । वही आज सुबह से ही छोटे बच्चों द्वारा घर-घर पहुंचकर नीम की टहनी दरवाजे पर लगाई गई और दान दिया गया माना जाता है। कि हिंदू धर्म के अनुसार पर्वों की शुरुआत हरेली से ही होती है । इस दिन तक किसान अपनी फसल की बुवाई कार्य पूरा कर किसी और कृषि औजारों की की साफ सफाई कर अगले वर्ष के लिए संरक्षित रख दिया जाता है। हरेली पर घर-घर पारंपरिक रीति-रिवाज से आराध्य देवी की पूजा कर व्यंजन बनाया गया ।
कई गांव में महिलाओं ने खेल इस आयोजन को एक अच्छा पहल बताते हुए कहा कि वर्तमान में जिस तरह बच्चे मोबाइल की गिरफ्त में आकर पारंपरिक खेलों को भूलते जा रहे हैं। ऐसे में हरेली का त्यौहार एक उत्साह लेकर आया, इस दिन बच्चे, बड़े, महिलाएं सभी मोबाइल से दूर पारंपरिक खेलों का आनंद लिए। लेकिन आधुनिकता के दौर में यह पारंपरिक प्रथा अब विलुप्त होने की कगार पर है । अब शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण इलाकों में गेड़ी का चलन काफी कम हो गया है ।
फोटो--2- हरेली त्यौहार मनाया