मेडिकल की आड़ में अवैध क्लिनिक धड़ल्ले से संचालित
विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
बलौदाबाजार :-
जिले में मेडिकल की आड़ में अवैध क्लिनिक का संचालन जोरो पर है। जहाँ पर खुलेआम इलाज क़र मरीजों के जान कों जोखिम में डाला जा रहा है। मजे की बात यह है की ये दवा दुकान ड्रग विभाग के नियमों कों ताक पर रखकर मेडिकल स्टोर चला रहे है एवं मरीजों का इलाज क़र रहे है ।हालत यह है की मेडिकल स्टोर पर न तो बोर्ड लगा हुआ है और नहीं फार्मासिस्ट का नाम चस्पा है उसके बावजूद संचालक द्वारा खुलेआम लोगों का इलाज किया जा रहा है साथ ही पैथोलॉजी लैब का संचालित क़र खून पेशाब की जाँच भी क़र रहे है। लेकिन यह गोरखधंधा न तो स्वास्थ्य अमला कों दिखाई दे रहा है और न ही ड्रग विभाग इस पर कुछ करने कों तैयार है। बताते चले की सिमगा ब्लॉक के सुहेला क्षेत्र में स्थित साहू मेडिकल स्टोर खुलेआम बोर्ड लगाकर दवाखना और खून पेशाब जाँच क़र पैथोलॉजी लैब चला रहा है।
उक्त मेडिकल स्टोर में ड्रग विभाग की संलिप्तता व संरक्षण कों इस बात से पता लगाया जा सकता है की उस मेडिकल स्टोर के लायसेंस कों नवीनीकरण अप्रूवल 30 जून कों क़र दिया गया है किन्तु अभी तक संचालक कों उसकी प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है। क्षेत्र में ऐसे अनेकों फार्मासिस्ट है जों मेडिकल स्टोर की आड़ में अपने आप को डॉक्टर बात कर फर्जी क्लिनिक खोल रखे हैं तथा मरीजों का इलाज क़र रहे है। कई बार तो क्लिनिक संचालकगण गांव-गांव में घूम घर जाकर मरीजों को उपचार करते हैं इस दौरान मरीजों से मोटी फीस वसूली जाती है। यह लोग ना तो कोई पर्ची पर दवाई लिखते हैं और नहीं इलाज के लिए कोई प्रमाण छोड़ते हैं ऐसे में अगर मरीज की सेहत पर कोई असर पड़ता है तो वह अपने हाथ खींच लेते हैं। बिना सबूत की इन पर कोई कार्यवाही भी नहीं होती है। लापरवाही की हद तो तब होती है ज़ब वें सामान्य स्वास्थ्य समस्या के लिए भी मरीजों कों हैवी डोज़ देते है। सामान्य सर्दी जुकाम खांसी और बुखार के मरीजों को एंटीबायोटिक के साथ संबंधित दवाइयां के कांबिनेशन का हेवी डोज दिया जा रहा है इसका मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। अनजान लोगों को इसका पता ही नहीं चलता है और कई बार तो इसके साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में अगर कोई गलत दवाई देने से तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है तब उन्हें बड़े अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है। नियम तो यही कहती है की कोई भी मेडिकल स्टोर संचालक इलाज या प्रैक्टिस नहीं क़र सकता लेकिन यहाँ आलम यह है की ड्रग विभाग के नियमों कों ताक पर रखकर संचालित हो रही मेडिकल स्टोर संचालक खुलेआम लोगों का लापरवाहीपुर्वक इलाज भी क़र रहे है। जिम्मेदारो कों इस पर सुध लेने की जरुरत है।