स्व करुणा शुक्ला शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज बलौदाबाज़ार में हुआ जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम
बलौदाबाजार/स्व करुणा शुक्ला शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज बलौदाबाज़ार में गुरुवार 24 अक्तूबर जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप थानू ध्रुव, सचिव सर्व आदिवासी समाज बलोदाबज़ार, विशिष्ट अतिथि के रूप में रवि ध्रुव जिला उपाध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज बलोदाबज़ार, मुख्य वक्ता के रूप में पुनेश्वर नाथ मिश्रा एवं संस्था के प्राचार्य डॉ. आर. के. अग्रवाल उपस्थित रहे. यह कार्यक्रम उन जनजाति नायकों के सम्मान में समर्पित था जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम मे अपने प्राणों की आहुति देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई जिन्हें किताबो में स्थान नहीं मिला. भारत के जनजाति समाज ने हमेशा अपने अध्यात्मिक परंपराओ, विशिष्ट संस्कृति और श्रेष्ठ जीवन मूल्यों के साथ भारतीय सभ्यता का हिसा बने रहकर राष्ट्र की सुरक्षा और समृद्धि में योगदान दिया है. सर्व प्रथम कार्यक्रम के संयोजक गणेश राम एवं भूपेंद्र राठौर के दवारा कार्यक्रम का संक्षिप्त प्रस्तावना प्रस्तुत किया गया तत्पश्चात जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिता रंगोली ,निबंध लेखन ,पोस्टर मेकिंग एवं प्रश्न मंच प्रतियोगिता का अवलोकन अतिथियों के द्वारा किया गया, तत्पश्चात आर. आर. आर. फिल्म का कोमराम भीम गीत का प्रदर्शन किया गया.
संस्था के प्राचार्य डॉ. आर. के. अग्रवाल दवारा कार्यक्रम का स्वागत उत्बोधन के रूप में जनजातीय गौरव की कला संस्कृति को सहेजकर अपने जीवन में उतरने को कहा. जनजाति गौरव दिवस के परिपेक्ष्य में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यक्रम में उपस्तिथ मुख्य वक्ता पुनेश्वर नाथ मिश्रा (अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता) ने बताया कि विश्व की सभ्यता और संस्कृति देने वाला समाज जनजाति समाज है इनके गौरवशाली इतिहास है जिन्हें दुर्भाग्य से कही पढ़ाया नही जाता स्वत्रंत्रता आन्दोलन हो या फिर भारत मे बाहरी आक्रमणकारी के आने पर यदि किसी समाज ने प्रतिरोध सर्वप्रथम किया वो जनजाति समाज है इनकी अपनी एक आध्यत्मिक ऊँचाई है जिसकी कल्पना हम माता सबरी के संवाद से कर सकते है.. अंग्रेजो ने इस समाज को हमेशा निचले स्तर का माना और इसका प्रचार किया यही कारण है कि लोगो मे अंग्रेजो की बताई बाते असभ्यता वाली का प्रचार हुआ आज जनजाति नायकों की स्वतंत्रता में भूमिका पर चर्चा नही होती जबकि स्वतंत्रता के असल जड़ में जनजाति समाज के नायक है... आज जनजाति नायकों को फिल्मों मे ऐसा दिखाया जाता है जैसे वे है नही और यही हम सबके मानसिकता में बैठ चुकी है.. जनजाति समाज के कई राज्य हुआ करते थे उनके अपने अलग स्थापत्य कला हुए लेकिन अंग्रेजो ने जनमानस में यह बात छेड़ी की ये असभ्य है.. जो कि पूर्णतः मिथक रहे.. आज जंगल बचे है उनमें जनजाति समाज का अमूल्य योगदान है वे प्रकृति पूजक है.
मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि ने अपने उद्बोधन में जनजाति समाज के जननायकों के वीरता एवं अदम्य साहस के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए वीर योद्धाओ कैसे अपने क्षेत्र की सुरक्षा की और अन्याय और शोषण के खिलाफ लड़ने की गाथा से अवगत कराया तत्पश्चात मंचस्थ अतिथि के माध्यम से पुरुष्कार वितरण किया गया एवं सस्था के छात्रो के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम के अंतिम कड़ी में अनुराग साहू द्वारा आभार व्यक्त किया गया. मंच का संचालन श्याम सुंदर साहू एवं कु. पूजा वैष्णव के द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्था के समस्त अधिकारी कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।