छेरछेरा पर्व के अवसर पर रविवार को लोगों ने खुलकर अन्न दान किया। बच्चों में पर्व को लेकर काफी उत्साह नजर आया, जिन्होंने घर-घर जाकर अन्न दान मांगा। इसके लिए सुबह से ही बच्चों की टोलियां निकल पड़ी थीं। उन्होंने पारंपरिक गीत छेरिक छेरा, छेर बरतनीन गाते हुए घर-घर जाकर लोगों से अन्नदान मांगा। रविवार की सुबह होते ही गांव की गलियों और शहर की बस्तियों, कालोनियों में बच्चों की टोलियां छेर-छेरा... कोठी के धान हेरहेरा... की गुहार लगाते हुए पहुंचती रही।
पर्व को लेकर ग्रामीण अंचल के लोगों में पखवाड़े भर पूर्व से ही उत्साह नजर आने लगा था और अपने-अपने स्तर पर लोगों ने पर्व मनाना भी शुरु कर दिया था। छेरछेरा मांगने वाले बच्चों में जो उत्साह था, उससे कहीं अधिक उत्साह दान करने वालों में दिखा। जिस घर के भी दरवाजे पर बच्चे पहुंचे, लोगों ने पूरे उल्लास के साथ उन्हें धान अथवा चावल दान कर छेरछेरा पर्व की खुशियां बांटी।
देवी अन्नपूर्णा की हुई पूजा: पर्व के अवसर पर धान की फसल लेने वाले किसानों ने सुबह देवी अन्नपूर्णा की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की। कृषक वर्ग ने अन्न की देवी अन्नपूर्णा को लक्ष्मी स्वरूप मानकर पूरी आस्था निष्ठा के साथ पूजा अर्चना की, इसके बाद घर की कोठी में रखे धान को दान कर घर-परिवार की खुशहाली की कामना की।
प्रितलाल कुर्रे(पी -एल ) ने बताया कि किसान कृषि कार्य से निवृत्त होने के बाद अच्छी पैदावार होने की खुशी में यह पर्व हर्षोल्लास से मनाते हैं। मांगने वालों को हर परिवार के लोग यथासंभव धान, चावल के साथ रुपए भी दान करते हैं।