राजनांदगांव जिले में 9.72 करोड़ से 324 केज उद्योग स्थापित
150 युवाओं और महिलाओं को मिला रोजगार
रायपुर, 31 दिसंबर 2024
राजनंदगांव जिले के बंदा खदानों के लिए उपयोगी ब्लॉक वाली प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केज कलचर तकनीक से मछली पालन का कार्य तेजी से लोकप्रिय और प्रभावशाली साबित हो रहा है। यह नवप्रवर्तन केवल आर्थिक रूप से विनाशकारी साबित हुआ है, बल्कि 150 से अधिक स्थानीय मत्स्यपालकों के लिए रोजगार का नया जरिया भी बन गया है।
जिले के जोरातराई में बंद खदानों को जलस्रोत के रूप में उपयोग करते हुए 9.72 करोड़ रुपए की लागत से 18 इकाइयों में कुल 324 केज आवंटित किए गए हैं। प्रत्येक केज इकाई की लागत 3 लाख रुपये है, जिसमें 60 प्रतिशत अनुदान के रूप में 5.83 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है। केज कल्चर, जिसे नेट पेन कल्चर भी कहा जाता है, फ्लोटिंग केज यूनिट में स्थापित करना एक आधुनिक तकनीक है। इसमें एक केज यूनिट में चार पंजे होते हैं, जहां उंगलियों के आकार की मांसपेशियों को पाला जाता है, जो पांच माह में लगभग एक से सवा किलो वजन की हो जाती है। इस तकनीक में तिलापिया और पंगेसियस जैस माइस का पालन किया जा रहा है। प्रत्येक केज से 2.5 से 3 टन तक मछली का उत्पादन होता है, जिससे 6 से 8 हजार रुपये की मासिक आय होती है।
ग्राम मुहिपार स्टेशन पारा की श्रीमती पूर्णिमा साहू ने बताया कि जय मां संतोष महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से केज कलचर टेक्नोलॉजी से जुड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। ग्रुप की महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का नाम सामने रखा है। जोरातराई की खदानों में 8 लाख से ज्यादा मछलियां पाली जा रही हैं। यह तकनीक न केवल मछलियों की तेजी से वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है, बल्कि संक्रमण का खतरा भी कम रहता है। मछली पालक अपनी जरूरत के अनुसार केज से मछली निकाल सकते हैं।
राज्य सरकार ने इस पहल के तहत सबसे पहले बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराये हैं। मत्स्य पालन की यह नवीन तकनीक अब ताजी और स्थानीय मछली बाजार में उपलब्ध हो रही है। केज कलचर टेक्नोलॉजी ने जिलों में मछली उत्पादन के नये आयाम स्थापित किये हैं। फर्मों और बंद खदानों के जलस्रोतों का उपयोग और आत्मनिर्भरता की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।