सृजन भूमि छत्तीसगढ़ -बलौदाबाजार।
जिले में शासकीय और निजी भूमि पर अवैध रूप से ईंट निर्माण कार्य तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन प्रशासनिक तंत्र इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। राजस्व और खनिज विभाग की अनदेखी के चलते बिना अनुमति और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कई जगहों पर ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं, जिससे सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग के साथ-साथ पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान हो रहा है। बिना किसी अनुमति के चल रहे ये अवैध लाल ईंट भट्ठे भारी मात्रा में धुआं, राख और धूल उत्पन्न कर रहे हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों को शुद्ध हवा तक नसीब नहीं हो रही है। इन भट्ठों से निकलने वाला काला धुआं और धूल-कण वातावरण में घुलकर श्वसन से जुड़ी गंभीर बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह प्रदूषण जानलेवा साबित हो रहा है। इस तरह
नियमों को ताक पर रखकर चल रहे ये ईंट भट्टे न केवल वायु प्रदूषण फैला रहे हैं, बल्कि वृक्षों के विनाश और कृषि भूमि की उर्वरता को भी प्रभावित कर रहे हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले इस कारोबार पर प्रशासन की उदासीनता से स्थानीय लोग परेशान हैं।
सरकारी भूमि पर हो रहा अतिक्रमण
सूत्रों के अनुसार, कई क्षेत्रों में शासकीय जमीन पर ईंट निर्माण कार्य चल रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से इन्हें रोकने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है । इन अवैध ईंट भट्टों के कारण मिट्टी के अत्यधिक दोहन से भूमि की गुणवत्ता खराब हो रही है और कई इलाकों में भू-क्षरण जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। भट्ठा संचालक नियमों की परवाह किए बिना खेतों, तालाबों और सरकारी जमीन से मिट्टी निकाल रहे हैं, जिससे प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान हो रहा है। कई जगहों पर गहरे गड्ढे खुदने से जलभराव की समस्या भी बढ़ रही है, जो भविष्य में बड़े भू-स्खलन और दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है उसके बावजूद राजस्व अमला कुम्भकरणीय निद्रा में सोया है।
खनिज विभाग की लापरवाही से बढ़ रहा अवैध खनन
खनिज विभाग की अनदेखी के चलते क्षेत्र में बिना लाइसेंस के मिट्टी का खनन किया जा रहा है। नियमानुसार, मिट्टी खनन के लिए अनुमति लेना आवश्यक होता है, लेकिन अवैध रूप से ईंट निर्माण करने वाले लोग बिना किसी अनुमति के यह कार्य कर रहे हैं। इससे न केवल सरकार के राजस्व को नुकसान हो रहा है, बल्कि क्षेत्र के जलस्तर और मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित हो रही है।
अवैध ईंट निर्माण में बिजली चोरी, विद्युत विभाग मौन
अवैध रूप से संचालित इन ईंट भट्टों में बड़े पैमाने पर बिजली चोरी की जा रही है, लेकिन विद्युत विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। न तो मीटर लगाए है और नहीं बिजली विभाग से टीसी कनेक्शन लिये है यहां तक इन ईंट भट्टों के संचालक बिना किसी अनुमति के ट्रांसफार्मरों से सीधी लाइन जोड़कर बिजली का अवैध उपयोग कर रहे हैं, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है। कई जगहों में भट्टा संचालक खेतों और सुनसान इलाकों में हाई-वोल्टेज तारों से अवैध कनेक्शन जोड़कर ईंट निर्माण कार्य में बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह न केवल अवैध है, बल्कि इससे क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। इससे न केवल सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है,बल्कि आम नागरिकों को बिजली कटौती और लो-वोल्टेज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है परन्तु बिजली विभाग चुप्पी साधे बैठा है।बिजली चोरी रोकने की जिम्मेदारी विद्युत विभाग की होती है, लेकिन जिले में अधिकारियों की लापरवाही के कारण भट्ठा संचालक बेखौफ होकर चोरी करके बिजली का उपयोग कर रहे हैं।
ईट पकाने पेड़ों की कटाई चरम पर
अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन प्रशासन और वन विभाग इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा। इन भट्टों में ईट पकाने के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिससे क्षेत्र में हरियाली खत्म हो रही है और प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन भट्टों के कारण न सिर्फ वन संपदा को नुकसान हो रहा है, बल्कि वायु प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। ईंट भट्टों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन से निकलने वाला धुआं आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद वन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। जबकि कानून के अनुसार, बिना अनुमति पेड़ों की कटाई दंडनीय अपराध है, फिर भी जिले में धड़ल्ले से वृक्षों का सफाया किया जा रहा है। पर्यावरण प्रेमियों और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और वन विभाग से मांग की है कि वे अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करें और पेड़ों की कटाई को रोका जाए। यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और भूमि कटाव जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सवाल यही है कि क्या प्रशासन इस ओर ध्यान देगा, या फिर यह मुद्दा यूं ही अनसुना रह जाएगा?
मजदूरों का शोषण गरीबों का फायदा उठा रहे भट्ठा मालिक
जिले में अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टों में न केवल नियमों की अनदेखी हो रही है, बल्कि यहां मासूम बच्चों से श्रम करवाया जा रहा है। इन ईंट भट्टों में नाबालिग बच्चों से ईंट ढोने, मिट्टी तैयार करने और अन्य कठिन कार्य कराए जा रहे हैं। गरीबी का फायदा उठा रहे भट्ठा संचालक ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले गरीब परिवारों के बच्चों को काम पर लगा रखे है । कई मामलों में मजदूरी भी बेहद कम दी जा रही है, जिससे उनका शोषण हो रहा है। इस भीषण गर्मी में सुविधाविहीन झुग्गी झोपडी में मजदूरों कों रहने मजबूर क़र दिए है। बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय इनके माता-पिता भी इन्हें मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें अपने परिवार का पेट पालना होता है।
बाल श्रम कानून की उड़ रही धज्जियां
बाल श्रम कानून के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराना दंडनीय अपराध है, लेकिन जिले में संचालित ईंट भट्टों में इस कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। श्रम विभाग की लापरवाही और प्रशासन की अनदेखी के कारण भट्ठा संचालकों को मनमानी करने की खुली छूट मिल गई है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस अमानवीय स्थिति पर चिंता जताते हुए प्रशासन और श्रम विभाग से अवैध ईंट भट्टों पर कार्रवाई करने और वहां से बच्चों को मुक्त कराने की मांग की है।बाल श्रम जैसी गंभीर समस्या पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह देखना बाकी है कि श्रम विभाग और प्रशासन कब जागता है और इन मासूम बच्चों को इस शोषण से कब मुक्त कराता है।
भट्टों में पानी की भारी खपत, गिर रहा जलस्तर
अवैध रूप से संचालित इन ईंट भट्टों में पानी की भारी खपत हो रही है, जिससे क्षेत्र का भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। भीषण गर्मी के इस दौर में जहां ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, वहीं भट्ठा संचालक बिना किसी अनुमति के बोरवेल और तालाबों से में पानी निकालकर ईंट निर्माण में उपयोग कर रहे हैं। अवैध रूप से हो रहा पानी का दोहन होने से गर्मियों में जल संकट की समस्या पैदा क़र सकती है। जानकारी के अनुसार, ईंट निर्माण में मिट्टी को गीला करने और भट्टों को ठंडा रखने के लिए प्रतिदिन हजारों लीटर पानी की जरूरत होती है। नियमों के अनुसार, किसी भी औद्योगिक गतिविधि के लिए जल संसाधन विभाग से अनुमति लेना आवश्यक होता है, लेकिन जिले के कई भट्ठा संचालक बिना किसी वैध परमिट के भूजल का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में पहले से ही जल संकट की स्थिति बनी हुई है, लेकिन अवैध ईंट भट्टों की वजह से हालात और खराब हो रहे हैं। कई गांवों में हैंडपंप और कुएं सूखने लगे हैं, जिससे किसानों और आम जनता को पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। जल स्तर की गिरावट को लेकर कई बार प्रशासन को शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन और जल संसाधन एवं पीएचई विभाग से मांग की है कि अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और जल संकट को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस जल दोहन पर चुप्पी साधे रहता है या फिर बढ़ते जल संकट को देखते हुए कोई ठोस कार्रवाई करता है?
स्तरहिन ईटों से मुनाफाखोरी चरम पर
इन अवैध ईंट भट्ठों में बनने वाली ईंटों की गुणवत्ता बेहद खराब होती है। बिना मानकों का पालन किए बनाए जा रहे ये ईंट जल्द ही टूट जाते हैं और निर्माण कार्यों में गंभीर समस्याएं पैदा करते हैं। इसके बावजूद, इन ईंटों को ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है, जिससे आम उपभोक्ता और ठेकेदार ठगे जा रहे हैं।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर
इन अवैध ईंट भट्टों में बड़ी मात्रा में कोयला, लकड़ी और अन्य ईंधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे हानिकारक धुएं का उत्सर्जन हो रहा है। यह न केवल वायु की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि आसपास के ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन भट्टों से निकलने वाले धुएं के कारण सांस की बीमारियाँ, आँखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं।
ईंट निर्माण के लिए मिट्टी का बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन किया जा रहा है, जिससे उपजाऊ कृषि भूमि बंजर होती जा रही है। इसके अलावा, भट्टों में जलावन के लिए जंगलों से अवैध रूप से लकड़ी काटी जा रही है, जिससे वन संपदा पर भी संकट गहराता जा रहा है। अनेकों जगह में नियम विरुद्ध शासकीय स्थानों पर बड़ी मात्रा में ईट निर्माण खुलेआम किया जा रहा है।
प्रशासन की अनदेखी या मिलीभगत ?
हालांकि, पर्यावरण संरक्षण और खनिज विभाग के सख्त नियम हैं कि बिना अनुमति के ईंट भट्टों का संचालन नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके बावजूद जिले में धड़ल्ले से अवैध ईंट भट्टे चल रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन की मिलीभगत के कारण ये कारोबार फल-फूल रहा है। सरकार द्वारा ईंट भट्ठों के संचालन के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। इनमें पर्यावरण स्वीकृति, जल प्रदूषण नियंत्रण और वायु गुणवत्ता बनाए रखने के प्रावधान शामिल हैं। लेकिन बलौदाबाजार में इन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बिना किसी वैध लाइसेंस और पर्यावरणीय मंजूरी के कई ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठा है।
प्रशासन कब जागेगा?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर प्रशासन कब तक इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे रहेगा? क्या बलौदाबाजार में पर्यावरण नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी महज कागजों तक सीमित रह गई है? यदि जल्द ही इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले समय में प्रदूषण की समस्या और विकराल रूप ले सकती है। अवैध ईंट भट्ठों का संचालन न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह पर्यावरण, सरकारी राजस्व और आम जनता के हितों के साथ खिलवाड़ भी है। प्रशासन को जल्द से जल्द कार्रवाई कर इस अवैध कारोबार पर रोक लगानी चाहिए, ताकि जनता को न्याय मिल सके और अवैध मुनाफाखोरी पर लगाम लगाई जा सके।
सख्त कार्रवाही की मांग
जागरूक नागरिकों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से मांग की है कि अवैध ईंट भट्टों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और शासकीय एवं निजी भूमि पर चल रहे अवैध ईंट निर्माण कार्यों को रोका जाए। यदि प्रशासन इसी तरह लापरवाह बना रहा, तो आने वाले समय में भूमि कटाव, जल संकट और पर्यावरण असंतुलन जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाता है या फिर यह अवैध कारोबार यूं ही चलता रहेगा?